खिड़की, हिंदी साहित्य सभा, श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, द्वारा प्रस्तुत किया गया, एक पॉडकास्ट है जो हमारे समाज के विभिन्न पहलुओं को समेटने जा रहा है जिन्हें हमने छोड़ दिया है। हम हिंदी और थोड़ी अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करेंगे। आज की पीढ़ी किसी भी प्रकार के विचार-विमर्श के लिए खुली है, चाहे वह एक सामाजिक निषेध हो, या किसी मित्र के साथ जीवन पर एक छोटी सी बातचीत। हम किसी भी चीज़ पर चर्चा कर सकते हैं, एक खिड़की के दहलीज़ पर बैठकर, 'चाय-की-चुस्की' लेकर और नज़ारों का आनंद लेते हुए! "एक नज़र खिड़की के उस पार, आइए मिलते हैं लेकर अपने विचार"
समलैंगिक समुदाय : गौरवान्वित समुदाय
खिड़की के इस एपिसोड के माध्यम से, यश साहू रिया और मोनिका बैरवा दुनिया को समलैंगिक समुदाय की कठिनाइयों से अवगत कराने का प्रयास करते हैं। वे समावेशिता और स्वीकृति के महत्व पर भी प्रकाश डालते हैं कि सभी व्यक्तियों को इस धरती को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाने के लिए बढ़ावा देना चाहिए!
इस एपिसोड के माध्यम से स्नेहा और सिमरन ने यह बताने का प्रयास किया है कि आज हमारी पृथ्वी अनगिनत समस्याओं से जूझ रही है और मनुष्य भी उन सभी समस्याओं को अनगिनत तरीक़ों से नज़रंदाज़ कर रहा है।
इस पॉडकास्ट में मिट्टी के महत्त्व व संरक्षण के बारे में चर्चा की गई है। हम आशा करते हैं कि आप सब भी कुछ क़दम उठाएँगे मिट्टी के संरक्षण के लिए क्योंकि 'मिट्टी से ही कल है'।
एक मानव की पहचान उसके भीतर बसी मानवता से होती है। लेकिन आज के कलयुगी समाज ने मानवता का अस्तित्व ही खतरे में डाल दिया है। इस एपिसोड के माध्यम से कल्पना, सुभांकर एवं तरनदीप ने इस समाज में दम तोड़ती मानवता की ओर ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास किया है। यह मानवता को बचाने की तरफ एक छोटा सा कदम है। तो आइए, मिलकर मानवता को बचाएँ।
खुशी सबसे अच्छी दवा है और हमारी सभी परेशानियों का समाधान है। अंतरराष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस के इस शुभ अवसर पर, हिंदी साहित्य सभा के यश साहू आपके लिए लेकर आए हैं एक पॉडकास्ट, जिसमें वास्तविक खुशी क्या है, विभिन्न तथ्यों को बताते हुए और वास्तविक खुशी कैसे प्राप्त करें, इस पर एक खाके की पेशकश करने का प्रयास कर रहे हैं।
इस एपिसोड के माध्यम से महक, प्रियंका, समीक्षा और सुभांकर ने सभी श्रोताओं को होली से संबंधित विस्तृत जानकारी देने का प्रयास किया है। होली के अनेक रंगों, उनके सांस्कृतिक मूल्यों और अलग-अलग राज्यों में इस त्योहार को मनाने के तरीक़ों के बारे में विशेष रूप से बात की गई है। इसके अतिरिक्त, होली के कारण हो रहे प्रदूषण का भी उल्लेख किया गया है।
जिसके आँचल में केवल स्नेह है और मन में समर्पण,
जिसके चेहरे पर भले ही थकान हो, पर आँखों में सुनहरी चमक,
वह है एक गृहिणी।
जो अपने परिवार के भविष्य के लिए ख़ुद का वर्तमान खो देती है,
उनकी ख़ुशियों के लिए अपने दिन भर का आराम खो देती है
फिर भी आज तक उसे वह सम्मान नहीं मिला जो वह पाना चाहती है।
पता नहीं वह कैसे समाज की इस क्रूरता को सेह लेती है।
तो चलो आज उस गृहिणी के जीवन के कुछ पन्नो को खोलते हैं,...
ख़्वाबों को ख़्वाहिश बनने में देर नहीं लगती, पर उन ख़्वाहिशों को पूरा करने में बहुत कुछ छूटता चला जाता है।
सपने देखना आसान है, उन्हें पूरा करना मुश्किल। और इस सपनों के संसार तक पहुँचने के रास्ते में अक्सर सवाल आता है, क्या आगे कर पाएँगे? बाक़ी सब इतने आगे हैं हम क्यों नहीं कर पा रहे? जब ऐसा लगे कि कोई तो समझे, तब एक कोशिश करना, किसी और की बजाय ख़ुद से थोड़ी बात करना। समझदारों कि इस दुनिया में तुम भले ही नासमझ हो, पर अपने अंदर की...
बचपन से सुनते आए हैं -
"मौत उसकी है, जिसका ज़माना करे अफ़सोस,
यूँ तो दुनिया में सभी आए हैं मरने के लिए।"
वास्तव में, जीवन एक रंगमंच है, जिसमें अपनी प्रतिभा व क्षमता दिखाने का अवसर बडे़ सुयोग से मिलता है। राह में कितनी भी बाधाएँ व चुनौतियाँ क्यों न आएँ, लगन कभी हार नहीं मानती। संघर्ष व परिश्रम करते हुए, अपने मूल्यों को धारण करते हुए, सफलता के अर्श पर पहुँचना कोई सहज कार्य नहीं था, लेकिन विनम्रता की प्रतिमूर्ति लता मंगेशकर न...
हर तरफ़ ख़ुशबू एकता की इस कदर फैलेगी,
उमड़ेगा सैलाब खुशी के नगमों का,
और हवा भी सुंदर गीत सुनाएगी,
हर खुशी के दिन पर सभी जश्न मनाएँगे,
हो कोई भी दिन लेकिन हर सुबह वंदे मातरम् ही गाएँगे, वंदे मातरम् ही गाएँगे।
इस एपिसोड के माध्यम से वर्षा, तनिश और राहुल ने सदैव एकजुट और एकता से रहने के साथ–साथ उसका महत्व भी दर्शाया है। आशा है आपको हमारा यह एपिसोड पसंद आएगा।
ना जानें जीवन में कितनी अड़चनें आती हैं,
ना जानें रास्ते में कितने पत्थर भी आते हैं,
सब कुछ सही होता नज़र आएगा ,
परंतु अंत में जाकर,
सब कुछ बिखरता-सा भी दिखाई देगा।
इस एपिसोड 'निराशा में आशा' के माध्यम से खुशी, मोनिका और स्नेहा ने, हमें ऐसी ही स्थितियों में आगे बढ़ने की हिम्मत को रखना सिखाया है। यह हमें हर बंद रास्ते में एक रास्ता दिखाएगा। एक ऐसा रास्ता जो हमें निरंतर निराशाओं के बाद भी आशाओं के सहारे, मंज़िल तक पहुँच...
मेरा अनुकरणीय गणतंत्र
इस एपिसोड के माध्यम से यश, महक, शिरीन एवं अदिति ने सभी श्रोताओं को भारतीय गणतंत्र दिवस की महत्ता समझाने की चेष्टा की है। इसमें हमारे संविधान के मूल्यों, वीर जवानों के संघर्ष तथा भारत देश के क्रांतिकारी व्यक्तियों के बारे में मुख्य रूप से बात की गई है। इसके अतिरिक्त 26 जनवरी की परेड का भी उल्लेख किया गया है।
इस एपिसोड के माध्यम से दिव्या, रेविन, नमन, वरुण, और दिशा ने वर्तमान समय में जो रैलियों की वजह से देश में कोरोना विस्फोट हो सकता है उसको वाद-विवाद के रूप में प्रस्तुत किया है। राजनैतिक चर्चा के साथ-साथ, जनता की क्या ज़िम्मेदारी है, उस पर भी चर्चा की है। उम्मीद करते हैं सरकारें अपनी ज़िम्मेदारियों को समझेंगी और देशहित में निर्णय लेंगी।
इस एपिसोड के माध्यम से शिवांगी, अदिति, निकिता, आशना और सौरव ने केंद्र सरकार द्वारा महिलाओं के विवाह की आयु 18 से 21 वर्ष बढ़ाने के बिल के बारे में बात की है। शादी की उम्र बढ़ाने के पीछे सरकार का क्या उद्देश्य है और इसका हमारे देश पर क्या प्रभाव पड़ेगा, एवं देश की जनसंख्या में कुछ सुधार होगा या नहीं, इन सभी मुद्दों पर चर्चा की गई है।
इस एपिसोड के माध्यम से वंशिका और चारू ने दोस्ती और सबकी ज़िंदगी में उसके अलग-अलग मायने बताए हैं। दोस्ती हम सबकी ज़िंदगी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है और हमारे दोस्त हमारे सुख-दुख के साथी। फ़िल्मों में दर्शाई जाने वाली दोस्ती को असल ज़िंदगी से जोड़ते हुए दोस्ती के अनोखेपन का वर्णन किया है।
इस एपिसोड के माध्यम से लोकप्रिया, खुशी और सौरव ने अस्वीकृति का हमारे जीवन से संबंध बताने का प्रयास किया है। जब हम अपने अपेक्षानुसार खड़े नहीं उतर पाते हैं, तब कभी-कभी हम खुद को ही अस्वीकारना शुरू कर देते हैं और यही हमारे जीवन में अस्थिरता का कारण बन जाता है। अस्वीकृति का सामना कैसे करना चाहिए, इसे जीवन में अपनाने के साथ-साथ इससे पार कैसे पाएँ तथा इसकी महत्ता पर चर्चा करने की हमारी यह एक छोटी सी कोशिश है।
इस एपिसोड के माध्यम से, अदिति और सौरव ने मनुष्य के मन में उठने वाली अपेक्षाओं के बारे में बात की है। अपेक्षाओं से जुड़े कई पहलुओं पर चर्चा की है। ये अपेक्षाएँ मन को किस प्रकार विचलित कर देती हैं, और इनके मायाजाल को कैसे तोड़ा जाए, यह भी समझाया है।
"नई मंज़िल, नई राहें, नया है कारवाँ"
इस एपिसोड के माध्यम से आँचल, अनिशा और तानिया ने जीवन की कठिनाइयों से लड़ कर, जीवन की एक नई शुरुआत को दर्शाया है। अपने जीवन को सकारात्मकता से भरने का संदेश दिया है।
एक बार फ़िर हाज़िर हैं हम खिड़की के नए अध्याय के साथ। आशा करते हैं आपका साथ मिलेगा।
सीजन 1 के अंतिम एपिसोड के माध्यम से समृद्धि और केतन, हिंदी साहित्य सभा से जुड़े उभरते कलाकारों की कुछ कविताएँ लेकर आए हैं, अपनी खिड़की की चौखट पे बैठे एक आखिरी बार। आशा करते है आप भी इस नए दौर के साहित्य से रूबरू हो कर अपनी मातृभाषा से फिर से एक रिश्ता कायम कर पायेंगे।
इस एपिसोड के माध्यम से केतन, श्रेया, नमन, हर्ष, चारु, वंशिका और देव ने संगीत के महत्व और अनजान किस्सों पर प्रकाश डाला है। उसके स्वर और सुर हमारी आम ज़िंदगी में क्या प्रभाव डालते हैं, संगीत और साहित्य, गीतों की पीछे छुपी कहानियाँ, और संगीत से जुड़ी कई और मुद्दों पर चर्चा हुई है। उम्मीद करते है आपको संगीत पर हमारा एपिसोड पसंद आएगा और आप भी धरती पर संगीत का अनुभव कर स्वर्ग की अनुभूति कर सकेंगे।
Current and classic episodes, featuring compelling true-crime mysteries, powerful documentaries and in-depth investigations.
Anna Sale explores the big questions and hard choices that are often left out of polite conversation.
If you've ever wanted to know about champagne, satanism, the Stonewall Uprising, chaos theory, LSD, El Nino, true crime and Rosa Parks, then look no further. Josh and Chuck have you covered.
If you can never get enough true crime... Congratulations, you’ve found your people.
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